Monday, December 23, 2024
18.1 C
Delhi
Monday, December 23, 2024
spot_img
Homeप्रदेशमैं हिमालय हूं डॉ दिनेश चंद आई ए एस जिलाधिकारी जौनपुर

मैं हिमालय हूं डॉ दिनेश चंद आई ए एस जिलाधिकारी जौनपुर

मैं हिमालय हूँ

@ डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस, जिलाधिकारी, जौनपुर, यूपी

पूरब से उत्तर तक फैला हूँ
उत्तुंग शिखरों से सुशोभित हूँ
वन-सम्पदाओं का खान हूँ
खनिजों से परिपूर्ण हूँ
जीव-जंतुओं से आह्लादित हूँ,
मैं हिमालय हूँ।

भौगोलिक ऋतुओं के अनुसार
जितनी भी रीतियाँ हैं
सबने मुझे संताप दिया
पर मैंने कभी आह नहीं भरा,
मैं हिमालय हूँ।

मैंने सभी के संताप और पीड़ा को,
संघर्ष के साथ स्वीकार करते हुए
सबको सहन करते हुए स्वयं खड़ा हूँ,
मैं हिमालय हूँ।

भीषण शरद/शीत ऋतु में
बर्फ की शीतल धाराओं ने
मुझे प्रभावित कर मेरा उत्पीड़न किया
और आगे बढ़ने के संकल्प को चुनौती दी
मैंने उसे स्वीकार किया,
मैं हिमालय हूँ।

ग्रीष्म ऋतु ने हिमालय को पिघला कर
हिमालय पर जमी बर्फ को पिघलाकर
उसके अहंकार को परिश्रान्त किया
और कहा कि हिमालय से टक्कर मत लेना,
मैं हिमालय हूँ।

मगर ग्रीष्म ने भी मेरा कोई उद्धार नहीं किया
उसने भी भीषण गर्मी से मेरी कोख में जन्मे
और निवासित जीव-जंतुओं को
भीषण गर्मी के संताप से हरने की कोशिश की
मगर वह भी निराश हुआ,
मैं हिमालय हूँ।

मैं थका और तभी आई भीषण वर्षा ऋतु
इसने भी मेरे संताप को हरा नहीं
अपितु उसने भी अपनी कुटिल मुस्कान
और कुटिल निरन्तर वर्षा के आघात से
मेरा भूस्खलन किया,
मैं हिमालय हूँ।

वह भी कुछ न कर सकी
और मैं पुनः वर्षा के बाद
उसी स्वरूप में खड़ा हुआ
और समस्त जीव-जंतु, वन्य जीव प्राणी
उसी ईश्वरीय प्रेरणा से आगे बढ़े,
मैं हिमालय हूँ।

सभी ऋतु चक्र को झेलते हुए
मैं हजारों वर्ष की परिकल्पना को
साकार किये हुए
भारत माता की रक्षा के लिए
दृढ़ रूप से खड़ा हूँ,
मैं हिमालय हूँ।

मेरा कभी विनाश नहीं हो सकता,
मेरा कभी संत्राप नहीं हो सकता,
आक्रांताएं आएंगे, लेकिन
मेरे सर पर टक्कर मारकर चले जाएंगे,
मैं हिमालय हूँ।

जगत जननी नदियों के उद्गम का स्थल हूँ,
मानव के उद्धार और उन्नयन के लिए
उन नदियों के निरंतर और अनवरत प्रवाहों का,
प्रभावों का साक्षी हूँ,
मैं हिमालय हूँ।

मेरा और मेरे अन्तःस्थल से निकली हुई
जीवन दायिनी नदियों का कभी
न विनाश होगा, न नाश होगा,
मैं हिमालय हूँ।

गंगा, यमुना, सरस्वती निरंतर अविरल प्रवाहित
और जीवन को आप्लावित करते हुए अविरल बहेंगी
और पर्यावरण की अनेक चुनौतियों को सहती हुई
मानव के कल्याण के लिए सदैव अपने अन्तःस्थल में
सभी दुःखों को सहन करते हुए आगे बढ़ेंगी,
मैं हिमालय हूँ।

मेरे अंतःस्थल से उद्गमित
समस्त जीवन दायिनी नदियां
जो भारत की जीवनदायिनी हैं
वह सभी को खुश रखेंगी,
मैं हिमालय हूँ।

मेरे अन्तःस्थल से
उद्गमित समस्त नदियां
आप सबके कल्याण के लिए
भारत माता के कल्याण के लिए
अनवरत, अजस्र वर्षों तक
प्रभावित और पल्लवित रहेंगी।
मैं हिमालय हूँ।

सभी नदियां
मेरे अन्तःस्थल से निःसृत
पवित्र बेटियां हैं,
सबके कल्याण के लिए
हम सब समर्पित रहेंगे,
मैं हिमालय हूँ।

सृष्टि के उद्भव का,
सभ्यता-संस्कृति के उत्थान-पतन का
अविचल, अटल साक्षी हूँ,
देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों का
साधना स्थल, परिभ्रमण स्थल हूँ,
मैं हिमालय हूँ।

कैलाश-मानसरोवर, बद्रीनाथ,
केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री,
नयनाभिराम वादियों, ट्रैकिंग पॉइंट्स
सभी का अधिष्ठाता हूँ
आश्रयदाता हूँ,
मैं हिमालय हूँ।

जय हिमालय,
जय गंगा मां
जय यमुना मां,
जय सरस्वती मां
जय हिंद।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular