
प्रयागराज महाकुंभ 2025- प्रशासनिक तैयारियां शोध और अनुसंधान का विषय।
डा. दिनेश चंद्र सिंह (आई ए एस)
यूँ तो हर 12 वें वर्ष में कुंभ का आयोजन अनंत काल से हो रहा है, लेकिन यह महाकुम्भ विशेष है, क्योंकि इसका आयोजन 144 वें वर्ष में ही होता है। इसलिए पतित पावनी गंगा, कलंक प्रक्षालिनी यमुना और अंतर्धारा पुण्य सलिला सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम तट पर अवस्थित प्रयागराज, उत्तरप्रदेश, भारत गणराज्य का अलग ही महात्म्य है।सनातन मनीषियों के मुताबिक, हर 144 वर्ष के अंतराल पर और इस बार वर्ष 2025 में पुनः ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग बना है जिसके कारण यहाँ आना और संगम तट पर स्नान-ध्यान करना पुण्यवर्धक समझा जाता है। 2025 का दिव्य महाकुंभ 144 वर्षों की सुदीर्घ प्रतीक्षा के बाद खगोलीय गणित एवं धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक दृष्टि से ग्रह-नक्षत्रों के अभूतपूर्व मिलन के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण और मनोकामना पूर्ति की मोक्ष की पूर्ति के लिए फलदायक है।

गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि जब श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करके पुष्पक विमान से लौट रहे थे तो वह विमान से ही सीताजी को तीर्थों के दर्शन कराते और उनका वर्णन करते हुए प्रयाग पहुंचने पर कहते हैं-बहुरि राम जानकिहिं देखाई। जमुना कलिमल हरनि सुहाई।।तीरथपति पुनि देखु प्रयागा। निरखत कोटि जन्म अघ भागा।देखु परम पावन पुनि बेनी। हरनि शोक परलोक निसेनी।।यानी तीर्थराज प्रयाग के दर्शन मात्र से किसी भी मनुष्य का करोड़ों जन्मों का पाप नष्ट हो जाता है।यह पावन स्थल सनातन धर्मियों के साथ ही अध्यात्म एवं धार्मिक आस्था में विश्वास रखने वाले प्रत्येक मानव के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु बन ही चुका है

, साथ ही धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को समझने एवं अध्ययन, चिंतन-मनन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।यहां पर मैं प्रयागराज महाकुंभ की आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यताओं से इतर इसके सकारात्मक और व्यवहारिक पक्ष पर अपना विचार रख रहा हूँ। उम्मीद है कि इसके प्रति आपकी भी जिज्ञासा बढ़ेगी।प्रयागराज महाकुंभ के लिए अद्भुत, अविस्मरणीय, अतुलनीय प्रशासनिक तैयारियां शोध-अनुसंधान का विषय बन चुकी हैं।यह महाकुम्भ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था की सुदृढ़ता, इसके लौह कवच रूपी अदम्य साहस, अपराजेय संकल्प शक्ति, अखंड आत्मविश्वास, कभी न थकनेवाली पुलिस-प्रशासनिक व्यवस्था के लिए किए गये अनुपम एवं विलक्षण प्रयास जिज्ञासु जनों के लिए शोधकार्य का विषय है।

इस महाकुम्भ की कमान उत्तरप्रदेश के सुयोग्य, यशस्वी, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के योग्य करकमलों में है।हलांकि, कुछ विघ्न संतोषी, सनातन विरोधी और धार्मिक आस्था के प्रति अरुचि रखने वाले दोहरे चरित्र के लोग, किसी न किसी बहाने महाकुंभ मेला की सुदृढ़ व्यवस्था में छेद करने के लिए यत्र-तत्र प्रयासरत हैं। वाकई महाकुम्भ अखंड सनातन गर्व, हिन्दू महापर्व का दिव्य-भव्य, मानवीय मूल्यों की एकता को आलोकित करने वाला, एक अविचल और अलौकिक अनुभूति लिए माननीय योगी जी की प्रशासनिक दक्षता का एक ऐसा दिव्य प्रयास है जहाँ सबकुछ आँखों के सामने ठहर जाता है कि हम ऐसे सफल सुप्रयासों की कैसे-कैसे प्रशंसा करें।

क्योंकि पूरी व्यवस्था में किंचित मात्र भी कमी नहीं है। जो लोग स्वभाव वश इस पुनीत प्रयासों में कमी ढूंढते हैं, वह भी किंकर्तव्यविमूढ़ हैं, क्योंकि कमी कहीं किसी भी व्यवस्था में नहीं है। जरा सोचिए यदि 50 करोड़ लोग ऐसे ही जलाशय, समुद्र या नदी में स्नान करते, जहाँ ईश्वरीय प्रताप या दिव्यता के साथ भगवान शिव का आशीर्वाद न होता तो करोड़ों लोग स्किन रोग के शिकार हो जाते। परन्तु यह पुण्य तीर्थराज प्रयागराज हैं, जहाँ सभी तरह से मां गंगा-यमुना-सरस्वती के पावन संगम पर स्नान करने से ही नहीं अपितु दर्शन लाभ से भी धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। उत्तरप्रदेश सरकार ने महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं को अलौकिक अनुभूति प्रदान करने के लिए कुछ खास जनसुविधाओं को विकसित किया- मेला परिसर को 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत किया गया, जिसको 25 सेक्टर में विभाजित करके तमाम जनोपयोगी

व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गईं, वहीं अपने निजी वाहनों से आने वाले भक्तों के लिए 1,850 हेक्टेयर क्षेत्र में अलग-अलग पार्किंग की व्यवस्था की गई, ताकि यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। चूंकि मेला के दौरान प्रतिदिन करोड़ों लोगों के आने थे, इसलिए उनके निमित्त 1,50,000 शौचालय बनवाए गए। लोगों को रहने में कठिनाई नहीं हो, इसके वास्ते 1,60,000 सुसज्जित टेंट लगवाए गए।इसी तरह से पूरे मेला क्षेत्र में 67,000 एलईडी स्ट्रीट लाइट, 200 वाटर एटीएम, 85 नलकूपों की स्थापना की गईं, निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए 2 नए विद्युत सब स्टेशन बनाए गए, 66 नए विद्युत ट्रांसफॉर्मर लगवाए गए, इसके अलावा 2,000 सोलर हाइब्रिड स्ट्रीट लाइट और 1,249 किमी पेयजल पाइपलाइन बिछाई गईं। 30 पांटून ब्रिज, 400 किमी में पक्के घाटों की स्थापना, 7 रिवर फ्रंट रोड और 12 किमी में अस्थायी घाट बनाए गये, ताकि किसी को भी स्नान करने में असुविधा नहीं हो। वहीं, 7,000 बसों का बेड़ा, 550 शटल बसों का बेड़ा और 7 नए बस स्टॉपों का निर्माण कराया गया। भक्तों की सहूलियत के लिए 14 नए फ्लाईओवर एवं अंडरपास तथा 11 नए कॉरिडोर का विकास किया गया, वहीं, केंद्र सरकार के मातहत 3,000 स्पेशल सहित कुल 13,000 रेल गाड़ियां चलवाई गईं। प्रयागराज एयरपोर्ट पर नया टर्मिनल भी बनवा कर देश-विदेश से वायु मार्ग द्वारा आने वाले भक्तों को भी की दिक्कतों का भी ख्याल रखा गया।राज्य सरकार की ओर से महाकुंभ परिसर को स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए भगीरथ प्रयास किये गए, स्वस्थ महाकुम्भ के नजरिए से सरकारी/प्राइवेट अस्पतालों में 6,000 बेड तैयार करवाए और मेला क्षेत्र में 4338 चिकित्सक तैनात किए गए। 125 रोड एम्बुलेंस, 7 रिवर एम्बुलेंस एवं एक एयर एम्बुलेंस तैनात किए गए। श्रद्धालुओं के लिए 6,000 बेड आरक्षित किए गए। स्वच्छ महाकुम्भ के उद्देश्य से 850 समूहों में 10,200 कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की गई, इनमें से स्वच्छता निगरानी के लिए 1,800 कर्मियों की गंगा नदी में ही तैनाती की गई है। महाकुम्भ नगर में 25,000 लाइनर बैगयुक्त डस्टबिन, 300 सक्शन गाडियां, GPS से लैस 120 टिपर-हापर तथा 40 कॉम्पेक्टर ट्रकों की व्यवस्था की गयी। जबकि, सुरक्षित महाकुम्भ के ध्येय से 37,000 पुलिसकर्मी एवं 14,000 होमगार्ड जवान तैनात हैं। 2,750 एआई बेस्ट सीसीटीवी, सीएमडी टीवी स्क्रीन लगाए गए हैं। इसके अलावा, 3 जल पुलिस स्टेशन, 18 जल पुलिस कंट्रोल रूम और 50 फायर स्टेशन स्थापित किये गए। इसके अतिरिक्त, 50 फायर स्टेशन, 20 फायर पीन्ट, 50 वॉच टावर, 4,300 फायर हाइड्रेंट लगवाए गए।महाकुंभ में श्रद्धालुओं की समग्र सुविधा और अद्यतन जानकारी के लिए कुछ प्रमुख आकर्षण विकसित किये गए- पहला, श्रद्धालुओं- पर्यटकों की मदद के लिए ट्रैवल गाइडों की तैनाती, दूसरा, उनके मार्गदर्शन के लिए कुम्भ सहायक एआई (AI) चैटबॉट, तीसरा, भक्तों की मानसिक शांति के लिए बर्ड साउंड थेरेपी, चौथा, देशभर के हस्तशिल्पियों/कारीगरों का यहां संगम हुआ, जिससे लोगों को तरह-तरह के सामानों की अनुभूति मिल रही है।

पांचवां, संगम में श्रद्धालुओं को बोट राइड की सुविधा उपलब्ध कराई गई, छठा, वेदों-पुराणों की कथा का बखान करते दर्शनीय चौराहे बनाए, सातवां, सांस्कृतिक मंचों पर गायन, वादन व नृत्य प्रस्तुतियों से लोगों का मनोरंजन करते हुए उन्हें प्राचीन कालीन दिव्य भारत से जोड़ने की व्यवस्था, आठवां, प्रत्येक दिशा में वाहन पार्किंग की उत्तम व्यवस्था और प्रत्येक पॉइंट पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती, नौवां, हाईवे के थानों पर भी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई, ताकि किसी की जान जोखिम में ना पड़े।ईश्वर सबके धैर्य, पराक्रम, साहस, प्रशासनिक दक्षता, धार्मिक आस्था और त्याग की परीक्षा लेता है। योगी जी का भी लिया, जो अव्वल अंकों से पास हो गए। काल प्रवाह वश गत 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के शाही स्नान से ठीक पहले जो घटना घटित हुई, वह माननीय श्री योगी जी के पुरुषार्थ पूर्ण किए गए कार्य की परीक्षा थी, धार्मिक आस्था से लबालब उनके अदम्य साहस की परीक्षा थी, जिसने एक-एक व्यक्ति को, हम सभी को द्रवित किया। वहीं, धर्म विरोधी आस्था रखने वालों और उन्माद फैलाने वालों को आलोचना का अवसर भी दिया। वह (योगी जी) हृदयविदारक घटना से सिर्फ द्रवित ही नहीं हुए, अपितु मन वचन कर्म से आहत होकर, अंदर से रोकर भी, बाहर से आने वाले महाकुम्भ के यात्रा को कैसे और अधिक सुदृढ़ बनाया जाए, ऐसे भाव से कुछ क्षण के लिए भावुक होकर, मन के अंदर रोकर भी पुन: व्यवस्था में लग गए। माननीय योगी जी का मन अशांत था परन्तु कभी पराजय न मानने वाले योगी जी मौनी अमावस्या की पूर्व की बेला में हुई घटना से दु:खी होकर बैठने वाले नहीं थे। उन्होंने खुद कमान सम्भाली और महाकुम्भ के आयोजन स्थल से सटे सभी जनपदों में हाई अलर्ट जारी कर करोड़ों श्रद्धालुओं को पड़ोसी जनपदों में होल्ड कराया।

जिसकी संरचना एवं व्यवस्था माननीय मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित/आयोजित बैठकों में पूर्व से ही थी। निश्चित रूप से एक शब्द या एक वाक्य में बिना अतिश्योक्ति पूर्ण शब्दों में कहा जाए कि योगी जी ने सभी जनपदों के श्रद्धालुओं को होल्ड कराकर घटना को रोका। फिर श्रद्धालुओं को धार्मिक आस्था के प्रतीक महाकुम्भ में मात्र 10 घंटों की प्रतीक्षा के साथ पुनः महाकुम्भ में प्रवेश कराकर शाही पर्व का स्नान कराया, वह बेहद सराहनीय था।उत्तरप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी, जिनका मैंने समग्र अध्ययन किया है और नजदीक देखा है, वह तपस्वी, संन्यासी, महंत और कुशल प्रशासनिक छवि के ऐसे अदम्य साहसिक व प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी युगपुरुष हैं, जो निर्भीक, निडर और न्यायप्रिय कार्यों के लिए कार्यपालिका जो सदैव शासनादेश के अधीन कार्य करती है, के साथ पुलिस व्यवस्था जो शांति और कानून व्यवस्था तथा अपराध नियंत्रण के लिए सभी कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं व्यवस्था के साथ समन्वय स्थापित कार्य करती है, इन सभी को इतना सुस्पष्ट आदेश/निर्देश देते हुए मैंने किसी अन्य मुख्यमंत्री को न कभी देखा और न कभी सुना है। लिहाजा, यह कहना उपयुक्त होगा कि “मैंने उसको जब-जब देखा, लोहा देखा, लोहे जैसा- तपते देखा, गलते देखा, ढलते देखा, मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा!” वास्तव में माननीय योगी जी के व्यक्तित्व के अध्ययन से मुझे केदारनाथ अग्रवाल की उपरोक्त पंक्तियां सायास याद आ गईं, क्योंकि योगी जी में वेदना एवं चुनौती पूर्ण समय में भी हमने लौह पुरूष के साहस का प्रतिबिंब देखा है।इस बार महाकुंभ के महात्म्य एवं गरिमा को नई ऊर्जा एवं व्यवस्था की दृष्टि से ऐसी आभा, शोभा, महात्म्य एवं ऐश्वर्यवान व्यवस्था मिली है, जो हमें राम-राज्य की उस स्मृति शेष व्यवस्था की याद दिलाती है जबकि हमारे राष्ट्र का भव्य गौरव, समृद्धि, ऐश्वर्य और समृद्धि सभी शिखर पर थे, जिसको ललचायी दृष्टि, ईर्ष्यालु स्वभाव से देखने वाले लुटेरे सबकुछ लूटने के लिए आकर्षित हुआ करते थे। योगी जी की टीम ने माननीय मुख्य सचिव जी के पर्यवेक्षण में जिस प्रकार अमृत स्नान एवं अन्य दिनों की व्यवस्था की, उससे स्पष्ट है कि योगी जी युगपुरुष ही नहीं बल्कि धार्मिक आस्था के केन्द्र बिंदु बन चुके हैं। आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक समागम के लिए आने वाले सहृदयी श्रद्धालुओं की मनवांछित आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक यात्राओं के प्रयोजन के लिए उत्तरप्रदेश सरकार ने अभूतपूर्व व्यवस्था की। यदि कहा जाए कि ऐसी उत्कृष्ट व्यवस्था, जो इस 2025 के महाकुंभ में प्रयागराज में माननीय योगी जी के नेतृत्व में की गई है, ऐसी पहले कभी नहीं हुई थी।चूंकि मैं प्रयागराज के निकटवर्ती जनपद में कार्यरत हूँ। इसलिए इससे जुड़ी बहुत सारी अनुभूतियों को संजोए हुए हूँ। जबकि, सेवा, समर्पण और आस्था से सराबोर कारण मन करता है कि श्रद्धालुओं के वास्ते कुछ ऐसा करूं जिससे मैं भी महाकुम्भ में आने जाने वाले धर्मानुरागी व्यक्तियों के लिए सहयोगी बन सकूँ, कर भी रहा हूं, कमोबेश सफल भी हो रहा हूं। कुंभ को मैने सेवा पर्व की तरह मनाने का प्रयास किया, लाखों आम जनमानस के साथ साथ सैकड़ों साधू संतों के दर्शन, उनकी सेवा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सुअवसर इसी महाकुम्भ के दौरान मिला। बहराइच के पांडवकालीन श्री सिद्धनाथ मंदिर एवं श्री सिद्धनाथ पीठ के महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी महाराज जी ने मुझे इसी महाकुंभ के दौरान स्नेह से भरपूर आशीर्वाद से अभिसिंचित किया।जनपद जौनपुर में मुझे जिला मजिस्ट्रेट जौनपुर के रूप में लाखों श्रद्धालुओं की व्यवस्था को संचालित करने का सुनहरा एवं अनुकरणीय अवसर मिला। मुझे टीम जौनपुर के प्रयासों पर गर्व है।(लेखक जौनपुर,उत्तर प्रदेश जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद )