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बहुत ही लुभाती हैं मुहब्बत की ये गलियांमगर रस्ता कठिन है ये, इसमें आराम नही है

लखनऊ।अदबी तंज़ीम फख़्र ए हिंदुस्तान के ज़ेरे एहतिमाम ओपन माइक मुशायरा व कवि सम्मेलन का इनइक़ाद जयपुरिया स्कूल गोमती नगर , लखनऊ में हुआ।

जिस की सदारत लखनऊ के मशहूर ओ मारूफ़ शायर अनुज अब्र साहब ने की ओर मेहमाने ऐजाजी भी रहे मेहमाने ऐजाज़ी जमील शैख मौजूद रहे | अनुज अब्र साहब जमील शैख साहब को फख्र हिंदुस्तान अवॉर्ड से नवाजा गया निज़ामत के फ़राएज़ असीम काकोरवी ओर अर्चना सिंह ने अदा किए। मेहमान ए ख़ुसूसी की हैसियत से ख़ूबसूरत लबो लहजे के मालिक बेताब लखनवी साहब ने शिरकत की ।
सदर ए मुशायरा अनुज अब्र साहब ने अपने सदारती ख़िताब में कहा कि नई नस्ल का उर्दू अदब हिंदी संस्कृति की तरफ़ रुझान उर्दू और हिंदी के मुस्तक़बिल के लिए फ़ेल ए नेक है, लिहाज़ा नौजवान उर्दू हिन्दी सीखने पर तवज्जा दें तो उनके मुस्तक़बिल के लिए बेहतर होगा।

पसंद किए जाने वाले अशआर क़ारईन की नज़र हैं।

मुझे मिलती भी कैसे बताओ कामयाबी
ज़रा सा झूठ बोलूँ तो लहजा कांपता है

अनुज अब्र

में जनता हूं के होंगे मजीद ज़ुल्मो सितम
जो जुल्म सह के भी तोड़ी न खमोशी में ने

बेताब लखनोवी

जिस के कदम कदम पे मददगार में रहा
उसको सुकून मिला है मेरा सर उतार के

असीम काकोरवी

बहुत ही लुभाती हैं मुहब्बत की ये गलियां
मगर रस्ता कठिन है ये, इसमें आराम नही है

अर्चना सिंह

खैरियत दोसरों से लेता है
पास जिस के हमारा नंबर है

आरीफ अल्वी

तुम भी तो तमाशा ही बनाने को मिले थे
तुम भी कभी रूह का होना ही नही था

रेहान रूह

समझलों उसका मुकद्दर बदलने वाला है
किताब थामली जिस ने रूआब छोड़ दिया

आसिफ सिद्दीकी

शोक से हक बुलाइए लेकिन खयाल इतना रहे
पत्थर आने लगते हैं पेडों पे फल आने के बाद

हुजैफा आसिवानी

कल शब तुम्हारे ख्वाब में इतना चला में
आँखें खुली तो पाऊं में झाले पड़े मिले

सुलतान कमर

जो क्या था कभी अकेले में
वादे अपने निभा रहा है वो

हिशाम लखनऊवी

इनके अलावा देशराज देशाई , ज्ञानू कश्यप , अभिषेक मिश्र अभी , प्रवेश कुमार , अमन कुमार , मकरंद पवार , नितिका श्रीवास्तव , वीरेंद्र कुमार मिश्र , रजा साहब , सुनील मल्होत्रा , हुमा अंसारी , मदीहा सैख , प्रखर कपूर ,हाफिज अमीर अहमद , वग़ैरा ने भी कलाम पेश किए।

आख़िर में कनवीनर मुशायरा आरिफ़ अल्वी ने कलमात ए शुक्र अदा किए।

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